च्यवनप्राश: सर्दियों में इम्युनिटी बढ़ाने वाला आयुर्वेदिक अमृत, रोज़ एक चम्मच पर्याप्त

Sun 14-Dec-2025,11:09 PM IST +05:30

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च्यवनप्राश: सर्दियों में इम्युनिटी बढ़ाने वाला आयुर्वेदिक अमृत, रोज़ एक चम्मच पर्याप्त Chyawanprash-Ayurvedic-Benefits-In-Winter
  • च्यवनप्राश सर्दियों में इम्युनिटी बढ़ाकर सर्दी, खांसी, जुकाम और संक्रमण से प्राकृतिक सुरक्षा देता है।

  • आंवला और 40 से अधिक जड़ी-बूटियों से बना च्यवनप्राश शरीर को बल, ऊर्जा और गर्माहट प्रदान करता है।

  • नियमित सेवन से बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में शारीरिक शक्ति, मानसिक एकाग्रता और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

Maharashtra / Nagpur :

AGCNN / सर्दियों का मौसम आते ही शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता की असली परीक्षा शुरू हो जाती है। ठंडी हवा, कम धूप, बढ़ता प्रदूषण और वायरल संक्रमण का खतरा आम लोगों को बार-बार बीमार कर देता है। ऐसे समय में आयुर्वेद में वर्णित एक प्राचीन और भरोसेमंद उपाय है—च्यवनप्राश। हजारों वर्षों से यह आयुर्वेदिक रसायन शरीर को भीतर से मजबूत बनाने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार च्यवनप्राश केवल एक जड़ी-बूटी मिश्रण नहीं, बल्कि दीर्घायु, बल और प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने का संपूर्ण सूत्र है। इसकी उत्पत्ति की कथा महर्षि च्यवन से जुड़ी है। मान्यता है कि वृद्धावस्था और रोगों से ग्रसित महर्षि च्यवन के लिए ऋषि-मुनियों ने एक विशेष रसायन तैयार किया, जिससे उनका शरीर पुनः युवा, शक्तिशाली और रोगमुक्त हो गया। इसी कारण इसे “च्यवनप्राश” कहा गया, अर्थात च्यवन को पुनर्जीवन देने वाला।

च्यवनप्राश का मुख्य आधार आंवला है, जिसे आयुर्वेद में अमृत फल कहा गया है। आंवला विटामिन-सी का प्राकृतिक भंडार है और शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। इसके साथ इसमें लगभग 40 से 50 औषधीय जड़ी-बूटियां मिलाई जाती हैं, जिनमें अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय, विदारीकंद, जीवंटी, पिप्पली, दालचीनी, इलायची और दशमूल जैसी शक्तिशाली औषधियां शामिल होती हैं। अंत में देशी घी, तिल का तेल और शहद मिलाकर इसे प्रभावी रसायन का रूप दिया जाता है।

आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार सर्दियों में कफ बढ़ता है, पाचन शक्ति मंद हो जाती है और संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। च्यवनप्राश शरीर की आंतरिक अग्नि को संतुलित करता है, फेफड़ों को मजबूत बनाता है और सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी समस्याओं से बचाव करता है। यह शरीर में गर्माहट बनाए रखता है और थकान व त्वचा की रूखापन जैसी समस्याओं को भी कम करता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि च्यवनप्राश का नियमित सेवन बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों—तीनों के लिए लाभकारी है। बच्चों में यह बार-बार होने वाले संक्रमण से बचाव करता है, युवाओं में मानसिक एकाग्रता और ऊर्जा बढ़ाता है, जबकि बुजुर्गों में जोड़ों की कमजोरी, याददाश्त और इम्युनिटी को सहारा देता है। यही वजह है कि सर्दियों में च्यवनप्राश को “इम्युनिटी शील्ड” भी कहा जाता है।

च्यवनप्राश लेने का सही तरीका भी आयुर्वेद में स्पष्ट बताया गया है। सामान्यतः सुबह खाली पेट 1 से 2 चम्मच च्यवनप्राश गुनगुने दूध के साथ लेना सर्वोत्तम माना जाता है। बच्चे आधा से एक चम्मच ले सकते हैं। रात में भी कम मात्रा में इसका सेवन किया जा सकता है, लेकिन ठंडे पानी, चाय या जूस के साथ इसे नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे इसका प्रभाव कम हो सकता है।

हालांकि कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं। मधुमेह रोगियों को शुगर-फ्री च्यवनप्राश का चयन करना चाहिए। तेज बुखार, अत्यधिक कफ या गंभीर अपच की स्थिति में इसकी मात्रा कम रखनी चाहिए या चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। आयुर्वेदिक ग्रंथ चरक संहिता और शारंगधर संहिता में च्यवनप्राश का विस्तृत वर्णन मिलता है, जो इसके प्रभाव और उपयोगिता को प्रमाणित करता है।

आधुनिक विज्ञान भी च्यवनप्राश के कई लाभों को स्वीकार करता है। शोध बताते हैं कि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, इम्युनिटी को मजबूत करते हैं और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं। यही कारण है कि आज भी च्यवनप्राश सर्दियों में स्वास्थ्य रक्षा का भरोसेमंद विकल्प बना हुआ है।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि च्यवनप्राश आयुर्वेद का ऐसा अमूल्य उपहार है, जो सर्दियों में शरीर को भीतर से मजबूत बनाता है। रोज़ केवल एक चम्मच च्यवनप्राश अपनाकर व्यक्ति सर्दी के मौसम में खुद को स्वस्थ, ऊर्जावान और रोगमुक्त रख सकता है

By Sudheer Kumar